यह देश है मेरा!
चाहे लाख करो कोलाहल तुम
नागरिकता के आधार का
यह देश हमेशा जिंदा है
और कायल है संविधान का |
तुमने कैसे यह मान लिया
राष्ट्रीयता – भेद जी पाओगे
मेरे देश के दामन को
छलनी कर तुम रह पाओगे।
राष्ट्र – प्रेम दर्शाते हो
नारे आजादी के लगाते हो
यह मुल्क पड़े जब मुस्किल में
झंडा दुश्मन का लहराते हो।
मैं कैसे मानूं तुम मेरे हो
इस धरा, सभ्यता के प्रहरी हो
जब मां का सीना छलनी कर
तुम आत्म-मुग्ध हो जाते हो!
यह इम्तिहान की घड़ी है
तुम्हें अग्नि – परीक्षा देनी होगी
उठाया नागरिकता पर प्रश्न तो
तुम्हें, लाज संविधान की रखनी होगी।
यह राष्ट्र तुम्हारा प्यारा है
राष्ट्रीयता अपनी सिद्ध करो
गुजर कर अग्नि – परीक्षा से
गद्दारों को दूर करो।
यह राष्ट्र तुम्हारा प्यारा है
राष्ट्रीयता अपनी सिद्ध करो।