यह दीप उसी से जलता है
दें स्नेह मित्र बन प्रभु हमको,
यह दीप उसी से जलता है|
संदेह मुक्त होकर यह मन,
बस प्यार बाँटता फिरता है ||
–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’
दें स्नेह मित्र बन प्रभु हमको,
यह दीप उसी से जलता है|
संदेह मुक्त होकर यह मन,
बस प्यार बाँटता फिरता है ||
–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’