– मेरे अपनो ने किया मेरा जीवन हलाहल –
मेरे अपनो ने किया मेरा जीवन हलाहल,
मेरे अपनो के द्वारा दी हुई पीड़ा को में कभी भूल नही पाऊंगा,
दुनिया में जब तक रहूंगा उन्हे याद रखूंगा व उनको याद आऊंगा,
मुझको दिए बहुत से जख्म मगर कभी घाव का मरहम नही दिया,
दिया मुझे सदा वेदनाओं का अंबार,
मगर कभी प्रेम का एक शब्द न दिया,
वज्र सा रखा अपने मन को ,
पत्थर की तरह टूटने न दिया,
मेरे अपनो ने किया मेरा जीवन हलाहल,
मगर कभी शब्दामत न दिया,
विष घोल दिया मेरे जीवन में मगर,
कंटक बिछा दिए मेरी राहों में पर,
पुष्प सा कभी आंचल न दिया,
छोटा था ,छोटा हु ,छोटा ही रहूंगा,
कभी बढ़ा होने नही दिया,
मेरे मरने पर आएंगे उन सबकी आंखों में दिखावे के आंसू,
जिन्होंने मुझे पूरे जीवन में हंसने नही दिया,
है मां शारदे तु अगर भरत को अपने चरणो का दास जानती है,
गहलोत को अपना पुत्र मानती है,
तो अपने चरणो में जगह दे मां,
जीवन हलाहल से अमृतमय कर दे मां,
हो जाएंगा अमृतमय भरत का जीवन,
गहलोत को तू ऐसा वर दे मां
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान,
संपर्क सूत्र -7742016184-