*यह चिड़ियाँ हैं मस्ती में जो, गाना गाया करती हैं【हिंदी गजल/
यह चिड़ियाँ हैं मस्ती में जो, गाना गाया करती हैं【हिंदी गजल/गीतिका】
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(1)
रोज सुबह चहचहा रही, आवाजें आया करती हैं
यह चिड़ियाँ हैं मस्ती में जो, गाना गाया करती हैं
(2)
चिड़ियों ने माधुर्य-भरी यह, बोली ईश्वर से पाई
नैसर्गिक संगीत-स्वरों से, हमें लुभाया करती हैं
(3)
दाना चुगती हैं धीरे से, यों यह चिड़ियाँ आ-आकर
नई नवेली प्यारी दुल्हन, ज्यों शरमाया करती हैं
(4)
फुदक-फुदक कर चलते-फिरते, कभी गौर से देखो तो
कितनी फुर्ती से यह चिड़ियाँ, उड़-उड़ जाया करती हैं
(5)
बुरा किसी का कभी नहीं, चाहा चिड़ियों ने इस जग में
पानी-दाना दो न दो, आशीष सुनाया करती हैं
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451