यह चमन है हमारा
बाप ने आज धेला कमाया नहीं
यूँ खिलौनों ने उसको लुभाया नहीं
यह अलग बात है कुछ कमाया नहीं
नाम लेकिन बड़ों का डुबाया नहीं
जामे उलफत किसी ने पिलाया नहीं
इक कदम भी कभी लड़खड़ाया नहीं
सब करेंगे हिफाजत सदा देश की
यह चमन है हमारा पराया नहीं
रिश्वतें हम कहां से चढ़ाएं तुम्हें
माल इतना अभी तक कमाया नहीं
प्यार से तो बिके हैं कई बार हम
दौलतों का हमें मोल भाया नहीं
आप मगरूर थे, या कि मजबूर थे
आपने फोन भी इक लगाया नहीं
आस मेरी कभी, टूट सकती नहीं
उसने सिंदूर अब तक मिटाया नहीं
खर्च इसको करोगे तो बढ़ जाएगा
इल्म से तो बड़ी, कोइ माया नहीं