यह कैसे रिश्ते
यह कैसे रिश्ते नाते
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यह कैसे हैं रिस्ते नाते,
प्रेम गीत नहीं है गाते।
नीचा दिखाते हैं रहते,
तनिक नहीं हैशर्माते।
घर में बुला अपने,
पथ बाहरी दिखाते।
बेईज्ज़ती हदें पार,
अपमान कर जाते।
अहंकार में अहंकारी,
सिर पैर में है झुकाते।
चाहत नहीं मिलन की,
मान सम्मान है घटाते।
मनसीरत मन दुखी है,
रिश्तेदार छोड़ जाते।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
अवमान रस पिलाते