यह इश्क नहीं आसान
******* यह इश्क नहीं आसान ******
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यह इश्क नहीं है आसान बहुत रूलाता है
तड़फा कर निकाले जान बहुत रूलाता है
तारे गिन गिन के नहीं कटती काली रात
कंठ से निकलते हैं प्राण बहुत रूलाता है
प्रेम रोग सा रोग नहीं हैं जमाने में
मुख पर न रहे मुस्कान बहुत रूलाता है
अंग प्रत्यंग में प्यार का रंग चढ़ जाए
सूना सा लगता जहां बहुत रूलाता है
बुद्धि भी साथ छोड़ती कर देती अंजान
काम ना आए ज्ञान बहुत रूलाता है
विश्वामित्र से तपस्वी मेनका ने हराये
संत बन जाएं नादां बहुत रूलाता है
मीठी मीसरी सी बातें मन हैं भरमाये
बिगड़ जाती है सुर तान बहुत रूलाता है
सुखविंद्र भी इश्क खुमारी ने है मारा
कुदरत का है फरमान बहुत रूलाता है
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)