यही सत्य है
जान रहे परिणाम सभी हम,सत्य धर्म ईमान।
लोभ मोह के ही चक्कर में,भूल रहा इंसान।।
असत्य को कह रहे सत्य अब,भूल गये पहचान ।
कुछ साधू के वेश बनाकर,स्वयं बने भगवान।।
अपयश से अब लोग न डरते,सत्य हुआ हैरान।
धन बल और बाहु बल पुजता,पुजता अब शैतान।।
सत्य सुनों मंदिर हैं खाली,मदरालय में भीड़।
अभक्ष्य भोजन करने मानव , रहा जानवर चीड़।।
यही सत्य जग हुआ प्रतिष्ठित,राजतंत्र है मौन।
जो विरोध कर सहास करते ,उनकी सुनता कौन।।
सत्य कहूँ तो वही लोग फिर,सड़के करते जाम।
राजनीति से सत्ता पाना,सिर्फ एक ही काम।।
सत्य बोलना राजनीति में,मानो कोई पाप।
जो बाचाल आज के युग में,सब नेतो का बाप।।
राजेश कौरव सुमित्र