यही विश्वास रिश्तो की चिंगम है
” रिश्तो को संगम ”
भाव का दाव रख आंखो से आंखों को मिलाकर
अपनी भाव विभोर की छाव रख वो स्वप्न नयनी आयी
नजरों को झुकाकर
यही भावनाएँ, बनी वो चिंगम मजाल क्या जो टोड़ दे
रिश्तों का संगम को
हमने नम्रता से उन्हे बुलाया था
मां का आँचल रख सुलाया था
खाने से हो प्रीत अनोखी रख
कभी मां तो कभी भाभी बन
एक पकवान खिलाया था
यही त्याग भावनाएं का संगम रख
जोड़ दे बनाकर रिश्तों का गगन
तरु से यह तना परे होकर
अपना भाव भुलता नही
तरु को भुलाकर खड़ा होकर
अपना वजूद बनाता कही
यही राग का रख संगम आंखो से
अंनुराग बना रिश्तो का संगम
अपनो ने अपनो के संग कर विश्वासघात करता देख
पश्चात का सन्ताप यू जारी था’
सपनो का सपनो के संग परिहास करता देख
महाघात का परिणाम यू जारी था।
यही राग अनुराग मजबूत रिश्तो के संगम की वो चिंगम है।
रिश्तो की बरकरारी आज विश्वास का समागम है
बचपन ने जो सिखाया वही हास-परिहास का निगम है ।
यही राग अनुराग का संगम रिश्तो की मजबूती की वो चिगम है