यही बस चाह है छोटी, मिले दो जून की रोटी।
यही बस चाह है छोटी, मिले दो जून की रोटी।
न सब्जी हो न तड़का हो, बनी हो नून की रोटी।
मसाले तेल घी शक्कर, न मिल पाएँ न गम कोई।
हमारा पेट भर जाए, मिले जो चून की रोटी।।
© सीमा अग्रवाल
यही बस चाह है छोटी, मिले दो जून की रोटी।
न सब्जी हो न तड़का हो, बनी हो नून की रोटी।
मसाले तेल घी शक्कर, न मिल पाएँ न गम कोई।
हमारा पेट भर जाए, मिले जो चून की रोटी।।
© सीमा अग्रवाल