यही बस कामना मेरी
करें पूजा सदा तेरी,
चरणरत भावना मेरी ।
सज़े हर छंद भावों से,
रहे निष्वासना मेरी ।
मिटें सब बैर अब दिल के,
रहें आपस में’ हिल-मिल के ।
अलंकृत शब्द-वाणी हो,
यही बस कामना मेरी ।
दीपक चौबे ‘अंजान’