यहाँ इश्क़ के सब ही मारे मिलेंगे
ग़ज़ल
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तेरे बज़्म में हम तो आते रहेंगे
ग़ज़ल के दिखाते उजाले रहेंगे
जफ़ाएँ करो तुम ये मर्ज़ी तुम्हारी
मुहब्बत सदा हम निभाते रहेंगे
वो हक़ मारकर के ग़रीबों के मुँह से
सदा छीनते ही निवाले रहेंगे
यहाँ दिल जलों की सजती है महफिल
यहाँ इश्क़ के सब ही मारे मिलेंगे
मेरी जिन्दगी में जो तुम आ गये हो
तो अब रोज़ मौसम सुहाने रहेंगे
कहा है ये उसने मिलेंगे जभी हम
वही जामे-उल्फ़त पिलाते रहेंगे
मिटा दें अँधेरा तनफ्फुर के “प्रीतम”
दिये प्यार के हम जलाते रहेंगे
122 122 122 122
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती ( उ०प्र०)
07/09/2017
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