यमुना के तीर
यमुना के तीरे
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यमुना के तीरे
रास रचाबत कन्हैया
छेड़त गोपियन करत अठखेलियाँ
मुरली बजाबत गैयन बुलाबत
मुरली की तान पर मैं बलिहारी जाऊँ
उधौ को सुन संदेशो
दोडी दोडी गोपियाँ चली आवत
सुनु उपदेशन उद्धव के गोपियन
ग्यान पर प्रेम की विजय नजर आवत
पगी प्रेम के कान्ह के राधे बावरी भइ जात
बैठ कदम्ब की डारि पर
चुरावत कपड़े रिसावत गोपियन
भरे मौन मे करत नैनन ही सों बात
स्यामले साँवरे पर सब कुछ न्यौछावर
खो बैठि सुधि बुधि पगलाई राधिके
पढ़त पढ़त कान्ह राधा गोपियन
ब्रज वासी प्रेम में बावरे होवत जात
पूरो जग बौराय गयो श्याम की प्रीती में
प्रभु प्रीती बिनु जग में कोउ कछु ना पाए
तू भी जप लें मानुष पार भवसागर कर लें
डॉ मधु त्रिवेदी