Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 May 2024 · 1 min read

यथार्थ से दूर का नाता

वह मुझसे घृणा रखते हुए
और, उसे जज्ब कर बाहरी तौर पर
प्यार का इजहार ऐसे करता है
जैसे कि मेरा मान भी उसने
अपनों में अटा रखा हो!
जैसे जातिमान पर रहता ही नहीं हो वह
कलुष बीच प्यार का पनपना सम्भव होता है
असंभव है मग़र प्यार में कलुष का पलना
कलुष और प्यार की
एक साथ चलने की प्रतीति का
यथार्थ से दूर का ही नाता होना चाहिए!

Language: Hindi
38 Views
Books from Dr MusafiR BaithA
View all

You may also like these posts

बहते रस्ते पे कोई बात तो करे,
बहते रस्ते पे कोई बात तो करे,
पूर्वार्थ
प्यार ही ईश्वर है
प्यार ही ईश्वर है
Rambali Mishra
4064.💐 *पूर्णिका* 💐
4064.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
बेनाम रिश्ते
बेनाम रिश्ते
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कोशिश
कोशिश
Chitra Bisht
जंग के भरे मैदानों में शमशीर बदलती देखी हैं
जंग के भरे मैदानों में शमशीर बदलती देखी हैं
Ajad Mandori
क्षणिका
क्षणिका
sushil sarna
ईश्वर
ईश्वर
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
सफलता की फसल सींचने को
सफलता की फसल सींचने को
Sunil Maheshwari
आगमन वसंत का
आगमन वसंत का
indu parashar
"स्कूल बस"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरे वतन सूरज न निकला
मेरे वतन सूरज न निकला
Kavita Chouhan
शान्ति दूत
शान्ति दूत
Arun Prasad
“फेसबूक मित्रों की बेरुखी”
“फेसबूक मित्रों की बेरुखी”
DrLakshman Jha Parimal
बदल गई है प्यार की, निश्चित ही तासीर।।
बदल गई है प्यार की, निश्चित ही तासीर।।
RAMESH SHARMA
मॉं जय जयकार तुम्हारी
मॉं जय जयकार तुम्हारी
श्रीकृष्ण शुक्ल
अजब-गजब
अजब-गजब
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
◆हरे-भरे रहने के लिए ज़रूरी है जड़ से जुड़े रहना।
◆हरे-भरे रहने के लिए ज़रूरी है जड़ से जुड़े रहना।
*प्रणय*
बाप
बाप
साहित्य गौरव
"Guidance of Mother Nature"
Manisha Manjari
अकेले चलने की तो ठानी थी
अकेले चलने की तो ठानी थी
Dr.Kumari Sandhya
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
Johnny Ahmed 'क़ैस'
खता तो हुई है ...
खता तो हुई है ...
Sunil Suman
ऐ पत्नी !
ऐ पत्नी !
भूरचन्द जयपाल
चलो बनाएं
चलो बनाएं
Sûrëkhâ
यह कैसन सपेरा है
यह कैसन सपेरा है
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तेरे दिल की हर बात जुबां से सुनाता में रहा ।
तेरे दिल की हर बात जुबां से सुनाता में रहा ।
Phool gufran
*सुकृति (बाल कविता)*
*सुकृति (बाल कविता)*
Ravi Prakash
Loading...