यथार्थ का सीना
(2013 की जम्मू और कश्मीर की प्राकृतिक आपदा से प्रेरित)
विगलित मिथ का यथार्थ करते हो
मिथ की दुर्गंध
जीवन की कथा में फेंटते हो
यार हद भद्दा मजाक करते हो
यथार्थ में यार मिथ मत फेंट
अंधविश्वास की अब तो अपनी
छूंछे नकली सामानों की
आकर्षक चमकीली दूकान समेट!
कि कहते हो
कृष्ण एक भगवान थे
पर्वत को ही लिया उखाड़
बना लिया था छाता!
जैसे, जड़ या चोटी हो कोई उसकी मुट्ठी में आने वाली
और फुक्का कोई गाजर मूली हो पहाड़
कहो तुम नासमझी के भ्राता!
ऐ जड़मति लोगो!
मर गया क्या तुम्हारा
ऊँगली पर पर्वत उठावनहार गोवर्द्धनधारी
पर्वत पर तैनात बर्फ-लिंगी बाबा बर्फानी?
केदार बहा
बहा बद्री
बह गया सगर जम्मू कश्मीर
बर्फ में घटते बढ़ते बर्फानी की दयनीयता देखी
रणछोड़ गए कृष्ण की कुव्वत देखी
देखी लापता लापता से मौजूद रहते
सबके सब चौरासी करोड़ की चुप्पी
काम न कोई आया तुम्हारे फ़ौज अलौकिक
यथार्थ का सका न सीना चीर।
@ मुसाफ़िर बैठा