यक्षिणी-7
सुन भई, बामन
वस्राभरण तूने जितने
बजरिये कथा-यक्षिणी
देह पर उसके सजाए
उससे अधिक तो आभूषण लगाए
बकिये देह को रख दिया नंगा
वक्ष नंगा रखा जो उसका
सच सच बतलाना
देखा कहीं या
अपने विकृत मन में ही फ़क़त पाया?
सुन भई, बामन
वस्राभरण तूने जितने
बजरिये कथा-यक्षिणी
देह पर उसके सजाए
उससे अधिक तो आभूषण लगाए
बकिये देह को रख दिया नंगा
वक्ष नंगा रखा जो उसका
सच सच बतलाना
देखा कहीं या
अपने विकृत मन में ही फ़क़त पाया?