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14 Apr 2024 · 1 min read

यकीन

वह बुजुर्ग सरकारी दफ्तर में राशन कार्ड बनवाने गया। वहाँ के लिपिक ने आवश्यक जानकारी भरकर फार्म में उनका दस्तखत कराया, फिर बोला- ठीक है दो दिन बाद ले जाना।

बाबू साहब मेरा काम तो हो जाएगा ना- बुजुर्ग बोला।

क्यों नहीं? हॉं,,, हॉं, जरूर हो जाएगा- उस लिपिक ने कहा। बावजूद वह व्यक्ति बैठा रहा। वह कुछ देर बाद आकर फिर बोला- तो मैं दो दिन बाद आऊँ?

अरे आप बार-बार ऐसा क्यों कह रहे हो? क्या मेरी बात पर आपको यकीन नहीं हो रहा?

उस व्यक्ति ने कहा- बाबू साहब, हमें पूरा यकीन है। बस आप 100 रुपये का यह नोट रख लीजिए।

मेरी प्रकाशित कृति :
मन की आँखें (दलहा, भाग- 1) से,,,।
मेरी लघुकथाएँ “दलहा भाग 1-7” में संकलित है।

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
टैलेंट आइकॉन – 2022-23

Language: Hindi
4 Likes · 3 Comments · 175 Views
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