मय़कश़ी
दोस्तों के संग मिल बैठकर वो जब पीने बैठे तो दो घूंट चढ़ाकर बोले वैसे तो मैं पीता नहीं बस दोस्तों का मन रखने के लिए थोड़ी सी चख़ लेता हूं।
तीन चार और घूंट चढ़ाकर फिर वो बोले कभी कभार थोड़ी-थोड़ी दोस्तों की महफिल में ले लेता हूं।
फिर चार-पांच और घूंट चढ़ाकर वे बोले ग़म भुलाने के लिए ये अच्छी चीज है इसीलिए मैं ले लेता हूं।
फिर आधी बोतल चढ़ा कर बोले लोग ख़ामखां इसे ब़दनाम करते हैं ये तो जन्ऩत की सैर कराती है।
ये जो दुनिया इतनी खुदगर्ज़ और बदश़क्ल लगती है ।
पीने के बाद वही हमद़र्द और हस़ीन बन जाती है।