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12 Jun 2020 · 1 min read

मज़ाहिया आज़ाद गज़ल

घिस रही है लाइफ डिटर्जेंट की तरह
पेश आती है वाईफ मैनेजमेंट की तरह ।
रोज़ बतातें है फायदे बीमा पॉलिसी के
दोस्त सब हैं एलाईसी एजेंट की तरह ।
ऑफिस में बॉस मेहरबाँ हैं हाइली यारों
संडे भी बुलाता है काम अर्जेंट की तरह ।
मुसीबतों का आना जाना है लगा रहता
रिश्ता है स्ट्रांग अम्बुजा सीमेंट की तरह ।
गॉड की मर्ज़ी के खिलाफ़ नो रिक़ुएस्ट
लेता हूँ आर्डर ऑनेस्ट सरवेंट की तरह ।
हो गए हो तुम अजय अब ओल्ड माडल
दिख रहे हो आजकल पेशेंट की तरह
-अजय प्रसाद

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