मौसम सुहाना बनाया था जिसने
सवेरे-सवेरे घर से निकल कर
बाहर जो देखा
बारिश की टिप-दिप,महक हवा की
मौसम सुहाना बनाया था जिसने
दिल को मेरे बहलाया था जिसने– मौसम सुहाना
पेड़ों का हिलना
फ्तों का गिरना
मन को लुभाती,चहक पंछियों की
मेरे दिल को लुभाया था जिसने – मौसम सुहाना
काली घटा में
ऐसी छटा में
अम्बर में उड़ता,वो हंसों का जोड़ा
मनोहारी दृश्य बनाया था जिसने – मौसम सुहाना
सर-घर हवा की
घन्टी की टनटन
दूर से आती वो,घुँघरू की खनखन
संगीतमयी पल बनाया था जिसने-मौसम सुहाना
हरी-हरी घास और
फूली थी सस्सों
धरा पे बिछी ज्यों,मखमल की चादर
घरती का दामन सजाया था जिसने -मौसम सुहाना
भंवरे की गुनगुन
कलियों का खिलना
कोयल की कू कू,रंग तितलियों का
“V9द: मन मेरा मचलाया था जिसने मौसम सुहाना
स्वरचित
V9द चौहान