मौसम बड़ा कातिल
मौसम है बड़ा कातिल, कोइ राज़ न खुल जाए।
बिजली जो आज कड़की, ये दिल न मचल जाए।।
ये काली घनघोर घटा,चैन मेरा छिनती।
दिल में दबे अरमान, नैनों से छलक जाए।।
ये बूंदों की टिप टिप, है बांँसुरी सी प्यारी।
कान्हा मैं तेरी जोगन,दिल कैसे संभल पाए।।
परदेस गये बालमा,मौसम लगे बेदर्दी।
बेचैन है ये करता,उनकी तलब जगाए।।
तू जा पवन सुहानी,तू इतना करम कर दे।
महबूब को बता दे,दिल उनकी झलक चाहे।।
इंदु वर्मा