मौला मेरे मौला
डॉ अरूण कुमार शास्त्री 💐 एक अबोध बालक💐 अरुण अतृप्त
तेरे दरबार में मालिक
सवाली बन के आया हूँ
दया करना मेरे मालिक
मैं खाली हाथ आया हूँ
सुना है मैंने लोगों से
दया तेरी बरसती है
जो भरोसा तुझ पर करतें हैं
झोली सदा उनकी भरती है
सहारा उनका बनता है
बे सहारा जो लोग होते हैं
तेरे दरबार में मालिक
सवाली बन के आया हूँ
दया करना मेरे मालिक
मैं खाली हाथ आया हूँ
नहीं मेरा कोई जगत भर में ओ मालिक
मैं तेरा अंश हूँ बना ले मुझको अपना तू
है दुनिया भर का रखवाला
मैं तेरे ही आधार आया हूँ
जिन्हें मिलता नही कर्म करने से
तू रोटी उनको देता है
सभी का भाग्य हो मालिक
कहीं ऐसा भी होता है
सहारा तू बनेगा ,
यही विश्वास लाया हूं
दुनिया भर का रखवाला
मैं तेरे ही आधार आया हूँ
तेरे दरबार में मालिक
सवाली बन के आया हूँ
दया करना मेरे मालिक
मैं खाली हाथ आया हूँ