मौन
जब किसी शख़्स को
पहली दफ़ा ज़ख़्म मिले तो,
चीखता-चिल्लाता है,
दूसरी बार
रोता-कराहता है,
धीरे-धीरे जब ज़ख़्मों का
आदि हो जाता है
तब हर ज़ख़्म के साथ
वह पहले की अपेक्षा
और अधिक मौन
होता चला जाता है।
जब किसी शख़्स को
पहली दफ़ा ज़ख़्म मिले तो,
चीखता-चिल्लाता है,
दूसरी बार
रोता-कराहता है,
धीरे-धीरे जब ज़ख़्मों का
आदि हो जाता है
तब हर ज़ख़्म के साथ
वह पहले की अपेक्षा
और अधिक मौन
होता चला जाता है।