मौन मानस
शीर्षक :- मौन-मानस
विधा :- हिन्दी ग़ज़ल
मापनी (बह्र ) :-
2212 2212 2212 2212
……………………………….
हर प्रश्न है सम्मुख खड़ा अरु मौन मानस अर्थ है ।
जब हो गया निष्प्राण तब उपचार सब बे-अर्थ है ।
तूफान से जब डर तुम्हें लगने लगा पहले यहाँ ,
पतवार से उस पार की उम्मीद रखना व्यर्थ है ।
रण में बिगुल जब बज रहा था मग्न थे परिहास में ,
यह लग रहा तेरे लहू में अब नहीं सामर्थ्य है ।
निज अस्मिता भय ग्रस्त जब छिपते-छिपाते चल रही ,
उत्थान का अभियान सच खुद ही बड़ा असमर्थ है ।
जब आश्रमों से माँगते शरणार्थ पालनहार ही ,
बस रक्त से सींचा गया परिवार केवल स्वार्थ है ।
यदि मरु धरा पर ही विचरना है नियति हर मर्त्य का ,
फिर द्रुम दलों ने मरु धरा को कब किया परमार्थ है ।
रचना :- मिथलेश सिंह “मिलिंद”-आजमगढ़