—मौत—
मौत को सामने पाकर
वो बोला
कुछ और
मोहलत
तो दे जा
अभी
तो काम बाकी हैं
बहुत अरमान बाकी हैं
अभी तो सीखा
था चलना
मेरे तो जज्बात
बाकी हैं
मौत ने कहा
कौन से काम और
कौन से जज्बात
अब तक की मोहलत
में तू न जो कर
सका बता
अब और रहा
क्या बाकी है ??
वकत यूं
ही गुजार दिया तूने
बस तेरा तो
बस काम तमाम
बाकी है !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ