मौत
मौत एक जिद्दी सा मेहमान है
वही ज़िंदगी का आखरी सच है
चल जाये दुबारा सांसे
हर ज़िंदगी की यही आखरी ख्वाहिश है
कान तक नही पंहुचती फरियादें
ना चेहरा, ना कोई पहचान
फिर भी जिंदा है अनगिनत वर्षो से
इसी का उसे है अभिमान
मौत एक ज़िद्दी सा मेहमान है
नज़रें गढ़ाए बैठा है चील सी
समय का बहुत पाबंद है वह
एक सेकेन्ड न कम न ज्यादा
समय पर पँहुचता गिरवी समान लेने
मौत एक कठोर सा साहूकार है
आप खुशनसीब हो तब तक
जकब तक सांसे चल रही है
मौत को हराना है तो एक उपाय है
औरो के दिल मे जीतेजी जिओ
ज़िन्दा रहते ही खुद को
दुसरो की सेवा में खो दो…
आनंदश्री