मौत से जंग..!
व्यक्ति काबिल चाहे जितना हो,
मौत से नहीं जीत पाता है,
सहयोग की बात है यारों,
सहयोग से जीवन गुजर जाता है ।
उड़ जाए परिंदे आसमां तक खूब,
धरती पर ही शरीर छोड़ जाते हैं,
सहयोग से ही सीखा है उड़ने की काबिलियत,
धारा से ही अपनी ऊंँचाई मापते हैं ।
जन्म ही अगर सहयोग से हुआ है,
खुद ही सहयोग की रीत अपनाते हो,
किस तरह से काबिले तारीफ की जाए तेरी,
शारीरिक नौका दूसरे के सहारे छोड़ जाते हो ।
यह गुरूर है जिस पर इतना इतराते हो ,
काबिलियत का नशा नजरों को ढ़कते हैं अक्सर ,
मौत से भी विजय होने का गुमान दिखाते हो,
एक पल नहीं लगता बड़ी शिद्दत से झुक जाते हो ।
मौत से जंग लड़ना है एक दिन ,
मरने से नहीं डरना है फिर ,
सहयोग थोड़ा सा जीवन में करके देखो ,
मौत ही तो है जो साथ ही में जन्मा है ।
*✍?
बुद्ध प्रकाश, मौदहा हमीरपुर।