मौत पे किसका वश चलता है
मौत पे किसका वश चलता है ।
उगता हुआ दिनकर ढलता है ।।
जिसको जितनी सांसें मिलती ।
उतना ही जीवन हासिल है ।।
एक राह के सभी मुसाफिर ।
अलग अलग सबकी मंजिल है ।।
अंधकार से लड़ने वाला ।
दीपक सदा कहाँ जलता है ।।
जो गया न उसका शोक करो ।
उसकी अपनी मंजिल आई ।।
जर्जर देह त्यागकर उसने ।
फिर से नवल काया पाई ।।
विधि का है विधान यह निश्चित ।
अटल है कभी नहीं टलता है ।।