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7 Sep 2021 · 1 min read

मौत को हम गले से लगाकर चले

मौत को हम गले से लगाकर चले ।
कुछ तो पाकर चले कुछ लुटाकर चले ।।

हो चले अलविदा हम वतन के लिए ।
दीप खुशियों के घर घर जलाकर चले ।।

याद बनकर बसे हैं जो दिल में सदा ।
ले दुआएँ ज़िगर में छुपाकर चले।।

चन्द लम्हें ख़ुशी के मिले जो हमें।
ज़िन्दगी से वो पहलू चुराकर चले ।।

देख तूफ़ान ‘माही’ को घेरे खड़ा।
बाँध सिर पर कफ़न जोश खाकर चले ।।

© डॉ० प्रतिभा ‘माही’ पंचकूला

4 Likes · 6 Comments · 360 Views
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