मौत – एक झूठ
मैं जब देखता हूँ अपने चहुओर,
ज़िंदगी जी रहे हैं लोग मृत्यु को झुठला कर।
अपने अंत की सोच का अंत करके,
मृगतृष्णा में जी रहें हैं लोग एक सत्य को झुठला कर ।
ज़िन्दगी कितनी अमूल्य है,
नहीं समझ पाएंगे ये लोग मौत को झूठ बताकर।
परंतु मृत्यु तो घूमती रहती है जीवन के चारो ओर,
उसे अपना बनाकर।
– सिद्धांत