मौकोंपर व्यापार होते है ंंव
****मौकों पर व्यापार होते हैं*****
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कहने को तो दो और दो चार होते हैं
पुरानी शराब से प्यारे यार होते है
फूलों से खुशबू जुदा हो नहीं सकती
भौरें पुष्परजों पर सवार होते हैंं
दिल जो हैं किसी की मानता ही नहींं
दिल्लगी के सौदे बेकार होते हैं
बात का पतंगड़ पल भर में बन जाए
बात जो बनाए कलाकार होते है
आँखों ही आँखो में झट समझ जाए
सचमुच बंदे वही समझदार होते हैंं
संकट में सहकार वही संकटमोचक
अन्यथा मौकों पर व्यापार होते हैं
तूत की छड़ जैसी मजबूत है दोस्ती
जो न निभा पाए वो गद्दार होते हैंं
बातों ही बातों में है छल कर जाते
सदा बचिए वो लोग मक्कार होते हैं
सुखविन्द्र कैसे बचे जो मौकापरस्त
पीठ असि घोंपे गुनाहगार होते हैं
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)