मोह
विषय …मोह
विद्या…. कविता
दिनांक…..02/05/2020
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माया मोह में क्या रक्खा है
मोह माया किया न कर
घर में मां है प्यार ही करना
मां से कभी लड़ा ना कर
मोह माया में कितने रिश्ते
कच्चे कांच से टूटे हैं
कितने अपने दिल के सच्चे
रिश्ते धागे से टूटे हैं
मोह माया के कारण ही
महाभारत जैसा युद्ध हुआ
मोह माया के कारण ही
लंकेश्वर विध्वंस हुआ
मोह माया के कारण ही
कितने युद्ध होते घर में
सब कुछ तो रहजाना यहीं है
फिर मोह माया कैसी रे
मोह माया के चक्कर में
चेहरे पर पड़ी उदासी रे
जितना तेरे लिखा नसीबा
उतना तो मिल जाना है
फिर मोह माया के चक्कर में
क्यों मानव पड़ जाना है
कह गये जग से संत कबीरा
मोह माया का त्याग कर
जीवन गर जीना है सुनहरा
बस जीवन से प्यार कर।।
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डॉ. नरेश कुमार “सागर”( उत्तर प्रदेश) हापुड़