मोहब्बत
घाव भरने से शख्सियत नहीं भूलता,
इन्सान है, अपनी मिल्कियत नहीं भूलता,
भुला देते हैं यूँ तो लोग वक्त के बहाने से,
के बहाने से अस्थियाँ कोई अपने नहीं भूलता,
यूँ तो सारे जहाँ की खूबियाँ शुमार हैं मुझमें,
पर कोई भी यहाँ मेरी गलतियाँ नहीं भूलता।
किरदारों में लहज़े हैं, लहज़ों में मान,
मान में बसती है कितनों की झूठी शान,
और शान में उलझकर खोया हुआ इन्सान।
करते तो हैं दुआ सलाम आज भी लोग,
एक घर में ठहरा पूरा परिवार नहीं मिलता।
क्या बताऊँ किस्सा मेरी तो नौकरी भी चौकीदारी की है,
काम पर जाऊं तो भी इन्सान नहीं मिलता,
कतरा-कतरा ज़हन में बसने लगा हूँ अपने,
पर कौन हूँ मैं ये जवाब नहीं मिलता,
मिलता तो है दरवाज़ा बाहर के रस्ते का,
बाहर जाकर देखूँ तो वहाँ भी चैन नहीं मिलता।
जवानी में पत्थर पर लकीरें खींची थी हौंसले की,
इतना बहा वो पत्थर भी पानी में,
के अब उसपर एक निशान तक नहीं मिलता,
हौंसले की बातें तो होती रहेंगी कल भी,
मेरा आज ढूंढ दो, मुझे मेरा आज नहीं मिलता।
मुझे चाहत रही है राहत की बेहद,
अकीदों की रोशनी से एक गुलाब,
हर रोज़ हूँ दुश्मन को भेजता,
और कौन कहता है यारों,
माफ कर के लोगों को सुकून नहीं मिलता?
फिर किसी ने शौंक की बात उठा दी महफिल में,
दिलजलों की बातें सुनी, शायरों की महफिल में,
तो इल्म हुआ जाना,
मोहब्बत नाम का शौंक तो कोई हुआ ही नहीं करता।
कहने लगे हादसा है, दिल्लगी है, उलझन है,
बस यही सब तो,
मोहब्बत है और कुछ भी नहीं,
मुद्दा तो मेरा भी यही रहा,
मेरा शौंक मोहब्बत है और कुछ भी नहीं।
इश्क लड़ाते हो? शर्म नहीं आती?
सवाल ये टेढ़ा सा कानों में गूंज गया,
इश्क किए बिना जीते हो? शर्म नहीं आती?
अपने जवाब से तो सारा खेमा गूंज गया।
कौन है इसकी बेशर्म महबूबा, इसकी बेगम?
आवाज़ लगाई गई,
गहरा सन्नाटा महफिल में, मुझे और पिलाई गई,
ये ज़मीं, ये आस्मां, ये तारों की बारात,
ये शामें, ये बरकत, ये सारी कायनात,
ये शोरगुल, यू महफिल, ये दिन ये, ये रात,
ये तुम, ये मैं, ये हस्ती हमारी,
ये बस्ती, ये रौनक, ये कागज़ की गाड़ी,
ये गुलशन, ये चिलमन, ये पैदल सवारी,
ये रूठे से झरने में बहता सा पानी,
ये काले से कमरों में बिकती जवानी,
ये मरघट में जलती से अग्नि सुहानी,
ये पल पल बरसता सा आँखो से पानी,
ज़िंदगी ही मेरी,
मोहब्बत है मेरी,
ओ सुनिए जनाब।
मोहब्बत है मेरी,
ज़िंदगी ही मेरी,
ओ सुनिए जनाब,
मैं पागल, मैं जाहिल, मैं बन्दा खराब,
मैं प्रेमी, मैं जोगी, मैं पागल नवाब,
मैं रहबर, मैं बरहम, मैं खिलता गुलाब,
मैं रोशन, मैं सावन, मैं मुँहफट जवाब,
मोहब्बत मोहब्बत मोहब्बत है मेरी,
मोहब्बत है मेरी, ओ सुनिए जनाब।
ज़िंदगी ही मेरी,
मोहब्बत है मेरी,
ओ सुनिए जनाब।