मोहब्बत सियासत वालों का
सियासत के दिमागी जंग में
खुद से उठा पटक
और औरों से भी
इस बीच छूट जाते हैं
अपने
वजह होता है वक़्त की कमी
हम भिड़ के दुनियां के बूते
जीने वाले
बिखर जाते हैं उस वक़्त
और शर्मिंदा होते हैं
अपने कार्य पर
अपने जीवन के महत्वाकांक्षाओं
पर भी
इस एहसास को समझना
बहुत मुश्किल होता है
और अपने भी सही होते
अपने जगह
हम भी
कभी कभी वक़्त के
इस किल्लत से
उब जाते हैं
हम रास्ते बदलने का फैसला करते हैं
किन्तु रुक जाते हैं
मुफ्लिसों के कृंदन को देखकर
उनका भी तो कोई नहीं
लोग भले सियासी हों
मगर एहसास तो इंसानों जैसा ही होता है।
अक्सर लोग डरते हैं हम सियासी वालों से
उन्हें कहां खबर
हमारे दिल के डर का
पूरी जिंदगी का संघर्ष
एक पल में खोने का डर
और सिर
हमेशा किसी पिस्टल के निशाने पर
क्या पता कौन सी सांस आखिरी हो
क्या पता कब दिल धड़कना छोड़ दे ।।
दुश्मनों से पार पाना जरूरी है
आत्मरक्षा के लिए हथियार रखना भी
हम दिखते अजीब है कि
वक़्त की किल्लत होती
सजने पर हम वक़्त नहीं दे पाते हैं
पहचान करना है
नेताओं का
नेता होने के लिए जरूरी
भिड़ का होना नहीं
सफेद सुथरा लिबास भी नहीं
वो जुमले के शब्द भी नहीं
वो झूठी आंसू भी
सच कहूं तो नेता नेता नहीं होते हैं
नायक होते हैं
जो गम के पल में आपका मार्गदरशन करें
जो ठिठुरते हुए अपने जिस्म से
चादर खींच कर किसी गरीब का तन ढक दे
जो आपके समस्या को सुनने में नहीं
हल खोजने में रुचि रखें ।
यही अंदाज़ है
जो नेताओं के
मोहब्बत को
कभी मुकम्मल नहीं होते देती है
अधूरी रह जाती है
नेताओं का मोहब्बत
क्योंकि वो हल निकालने में व्यस्त होते हैं
तब तक उनसे
वक़्त का उपेक्षा करने वाले
दूर चले जाते हैं
और दोनों के ख्वाब अधूरे रह जाते हैं।
कभी करीब मत जाना इन सियासत वालों के
अगर मोहब्बत चाहते हो मिलेगी पर वक़्त नहीं।
दीपक झा रुद्रा