मोहब्बत का हुनर
वो आये इस तरह से मेरे हिज़ार में।
पलकें बिछाए बैठे हो जैसे इंतज़ार में।
दिल तोड़ना ही था तो सौदा ही क्यों किया।
अब बेचने चला है उसको बाज़ार में।
सदियों तलक जीएगी मोहब्बत ये अब मेरी ।
क्यों सोच रहा बैठकर तू अब बेकार में ।
यादों को दफन करके मेरे सामने यूंही।
अब रो रहा है बैठकर मेरे मज़ार में।
Phool gufran