मोहब्बत।
बिना काटे जो घाव दे,
ऐसी तासीर है।
मोहब्बत भी मेरे यारो,
एक शमसीर है।।
सेहरा भी गुलशन लगे,
चाहत वो चीज़ है।
तुम खुश रहो गम लेने को,
ये ताज नाचीज़ है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ
बिना काटे जो घाव दे,
ऐसी तासीर है।
मोहब्बत भी मेरे यारो,
एक शमसीर है।।
सेहरा भी गुलशन लगे,
चाहत वो चीज़ है।
तुम खुश रहो गम लेने को,
ये ताज नाचीज़ है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ