मोहब्बतों का दिया ??
मोहब्बतों का दिया ??
मोहब्बतों के दिये जला कर ,रोशन कर रहा हूँ संसार
नफरतों की आँधियों से मेरी लौ डग मगा रही है
मैं हर बार आँधियों से मोहब्बतों की लौ बचा लेता हूँ।
बुझने नहीं देता मैं दिया मोहब्बत का
दिन पर दिन बड़ रहा है, मेरा प्यारा सा कारोबार ।
एक लौ से दूसरी लौ जल रही है अब चल पड़ी है
मोहब्बत की फुहार ,अपनत्व के रंग में रंगा है संसार।
मेरे खाव्बों की कश्ती ,में सपनों की बहार ।
हर सपना बन के आया उपहार
मेरे सपनों का संसार ,मोहब्बतों के उपहार
कर रहा हूँ आजकल मैं मोहब्बतों का इकरार
मेरा आशीयाना की बात ही निराली है,
यहाँ हर दिन है ,होली, दीपावली ।