मोल भाव की कला
मोल भाव करना
है एक हुनर
जिसमें हमारा रूतबा
सदैव रहा निम्नतर
जो दाम मिल जाए
उसमें खरीद लेते हैं
कभी छुट्टे ना हो तो
रेजगारी भी छोड़ देते हैं
इस कला की
हमारी श्रीमती है धनी
एक दिन गलती से टोका
तो दोनों में ठनी
अरे देवीजी
क्यों इतना सौदा करना
चार पैसे बचाने को
जी हलकान करना
जो मांग रहा है
खुशी से दे दो
सामान उठाओ
घर की राह ले लो
जवाब मिला
आप रहने ही दो
कुछ अच्छा नहीं
है कहने को
सेब के दाम में
लाते हो टमाटर
ऊपर से हमें
देते हो लेक्चर
आखिरी बार
जब गए थे मंडी
दुगने दाम में
लाए बासी भिंडी
कभी मुफ्त नहीं
लाये धनिया मिर्चा
जब देखो करते हो
फ़िज़ूल खर्चा
मोल भाव करना
एक कला है, सीखो
और पैसे उड़ाने से
पहले आमदनी देखो
बच्चों के कपड़े,
ट्यूशन और फीस
ससुर की दवा की
लंबी रसीद
ट्रेन की रफ़्तार से
तेज़ बढ़ती महंगाई
उमर बीत गई,
किये सफर हवाई
मोल भाव करके
कुछ पैसे बचाती हूं
तब जाकर घर खर्च
चला पाती हूं
अरे सरकारी बजट
बनते सालाना
पर यहां तो
बनता है रोजाना
शुक्र मनाओ मैं
तुम्हारी किस्मत में थी
वरना ताउम्र जुगाड़ते
राशन और सब्जी
उनका रौद्र रूप
देख हम सहम गये
शब्द और कदम
दोनो थम गये
बात समझ में
आ गई तुरंत ही
मोल भाव करना
जरूरत है शौक नहीं
चित्रा बिष्ट