मोर्चा के जाल
पद कम है नेता ज्यादा हैं ,एहलिये मोरचा बनाइ दिया।
अध्यक्ष बनके रुआब बनाव, एक घुनघुना पकड़ाइ दिया।
पकड़ पकड़ के नेता आवें सत्ताधारी पद पकड़ावें,
सबके खुश करे के खातिर ,मोर्चा के जाल बिछाइ दिया।
ऊपर से देखा भैया ,यूथ ब्रिगेड बन गइल।
निकम्मा जुआ नेता कामरेड बन गइल।
और कवन कवन सभा बनाई के ,आपन नाम हसाइ दिया।
सबके खुश करे के खातिर, मोर्चा के जाल बिछाइ दिया।
जेतनी जाति बा उतना मोरचा।
ना बा उनके विकास के चरचा।
जाति -धरम के चक्कर मे लोगवा, आपन इज्जत गवाइ दिया।
सबके खुश करे के खातिर ,मोर्चा के जाल बिछाइ दिया।
-सिद्धार्थ