मोबाइल
वीर छंद
मोबाइल विज्ञानिक का है,कितना अद्भुत आविष्कार ।
जादूगर का ऐसा जादू,फँसा विश्व होकर लाचार।
मोबाइल तो इस दुनिया का, है सबसे मायावी यंत्र।
यूँ माया का जाल बिछाया, छोटे बड़े हुए परतंत्र।
देखने पर तो लगता यही,कि मोबाइल एक खिलवान।
मगर असलियत में उलटा है,बना खिलोना हर इंसान।
कभी-कहीं आना जाना हो, फोन साथ में हर स्थान।
बना जरूरत या मजबूरी, समझ न पाये हम नादान।
हुआ कांतिकारी परिवर्तन,दूर किये कितने आभाव।
जिस कारण हर एक क्षेत्र में,हुआ चमत्कारिक बदलाव।
मोबाइल ने बना दिया है, मानव जीवन को आसान।
लाभ मिले जितने ही इससे,उतने ही ज्यादा नुकसान।
मानव निर्मित मोबाइल ने,मानव में भर दिया विकार।
सभी मानसिक विकास रूका,बन बैठा कितना बेकार।
– लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली