मोबाइल फोन
सभी खिलौने टूट गए,
खेल सभी अब छूट गए ।
बाग में अब बैठेगा कौन,
जबसे हाथ में आया फोन ।।
होती सबकी चाह है पूरी,
हो गया कुछ और जरूरी ।
रात दिन उसमें ही रहते,
जबसे साथ में आया फोन ।।
गांव में हरियाली थी,
मन में खुशहाली थी ।
गांव की भी गयी रौनक ।
जबसे साथ में आया फोन ।।
मोबाइल जो साथ है,
व्यस्त सभी का हाथ है।
खाने का भी समय नहीं,
बस हाथ में दूरभाष है।।
© अभिषेक पाण्डेय अभि