मोबाइल द्वारा मोबाइल निंदकों से शिकायत
अगर दोष मुझमें है तो फिर, क्यों मुझको अपनाते हो।
मेरे सदगुण छोड़ महोदय, अवगुण क्यों गिनवाते हो।।
नहीं सिखाया झूठ बोलना, मैंने पति प्रजाति को
नहीं सिखाया रखवाली करना, मैंने महिला जाति को।।
मन के अंदर चोर छुपा, और दोषी मुझे ठहराते हो
मेरे सदगुण छोड़ महोदय,अवगुण क्यों गिनवाते हो
नहीं सिखाया मैंने यारों, आपस में लड़ जाओ तुम।
मेरा जन्म हुआ था, जिसमें आपस में जुड़ जाओ तुम।।
अच्छाई को छोड़ बुराई, लोगोँ तक पहुँचाते हो
मेरे सदगुण छोड़ महोदय अवगुण क्यों गिनवाते हो
दुनिया के कोने कोने में, मेरा ही विस्तार है।
उन्हें संदेशे पहुँचाता, जो सात समन्दर पार है।।
दो पल की दूरी भी मेरी, सह नही तुम पाते हो
मेरे सदगुण छोड़ महोदय, अवगुण क्यों गिनवाते हो