मोदी क्या कर लेगा
जब तक हम एकत्र न होंगे,
केवल मोदी क्या कर लेगा।
उसकी भी अपनी एक सीमा,
कुछ हद तक कुछ गम हर लेगा।
भारत का इतिहास साक्षी,
बिखरे थे अब भी बिखरे हैं।
विप्र क्षत्रिय, शुद्र वैश्य बन,
एक दूजे के संग अखरे हैं।
जागो भाई अभी सवेरा,
वरना दुश्मन फिर धर लेगा।
जब तक हम एकत्र न होंगे,
केवल मोदी क्या कर लेगा।
मुख्य भूमिका आचार्यों की,
इसमें भी हम नहीँ खरे हैं।
अनिक पंथ,मत,अनिक रास्ते,
अनिक शिष्य आचार्य भरे हैं।
अपनी डफली राग अलग जब,
तब कैसे कोई रण सर लेगा।
जब तक हम एकत्र न होंगे,
केवल मोदी क्या कर लेगा।
चित्रग्रीव है मोटा भाई,
हम सब झुंड कबूतर हैं।
डाल दिया है दुश्मन दाना,
और सब उसके ऊपर हैं।
झुंड समूचा जोर लगाकर,
एक दिशा उड्डयन भर लेगा।
जब तक हम एकत्र न होंगे,
केवल मोदी क्या कर लेगा।
-सतीश सृजन