मोटा बिल्ला
मोटा बिल्ला बन गया नाई
करता था वह खूब कमाई।।
मटक-मटक कर चूहा आया
बोला काटो मेरे बाल।
दुश्मन आया है खुद चलकर
फैलाया बिल्ला ने जाल।।
कैची पकड़ी सर को घुमाया
फिर काटे हैं पानी डाल।
काटते-काटते उसने देखो
काटी है चूहे की खाल।।
चूहा चिल्लाया घबराया
दौड़ा सरपट हो बेहाल।
भागा-भागा बिल में आया
गुस्से में था वह तो लाल।।
रात में फिर चूहा जा पहुंचा
फिर कुतरी सारी सैलून।
कुतरे उसके रुपये-पैसे
खौला अब बिल्ले का खून।।
बुरा करो ना कभी किसी का
हो चाहे दुश्मन कोई।
काटी सबने फसल वही जो
जिसने जैसी है बोई।।
विजय बेशर्म