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26 Dec 2020 · 1 min read

मोटनक छन्द

मोटनक छन्द
221 121 121 12
जो नाथ सदा सिर हाँथ रहे।
तो दूर सभी दुख पाप रहे।
ना भक्त कभी वह आह भरे।
जो नित्य सदा गुणगान करें।

अदम्य

Language: Hindi
217 Views
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