मोटनक छन्द
मोटनक छन्द
221 121 121 12
जो नाथ सदा सिर हाँथ रहे।
तो दूर सभी दुख पाप रहे।
ना भक्त कभी वह आह भरे।
जो नित्य सदा गुणगान करें।
अदम्य
मोटनक छन्द
221 121 121 12
जो नाथ सदा सिर हाँथ रहे।
तो दूर सभी दुख पाप रहे।
ना भक्त कभी वह आह भरे।
जो नित्य सदा गुणगान करें।
अदम्य