मोची की बरसात
काली मेह छाया है
ओ ,मेघा देखकर बरसना
काल बैसाखी चली गई
अब तेरी ही बारी है
आश विश्वास टूट गया।
काली मेह छाया है
ओ ,मेघा देखकर बरसना
मेरी छत टपकती है
खट मर कर काम करें
तीन बार का पेट चले।
काली मेह छाया है
ओ, मेघा तू देखकर बरसना
जूतों की चमक खो जाती
वॉटर प्रूफ जूतों का चलन
ऐसे तो बाजार ठंडा हैं
तेरे आने से ओर मंदा है।
काली मेह छाया है
ओ ,मेघा तू देखकर बरसना
ओस की बूंद नाराज हुई
मेरी छत पर परेशान हुई
वर्षा के आ जाने से
मेरी कमाई चौपट हुईं।।
गौतम साव