मॉ की कोख में मुझे न मारो
मॉ की कोख में मुझे न मारो
✍?अरविंद राजपूत
पापा मेरे प्यारे पापा,
मुझे अपना लो पापा जी ।
मां की कोख में मुझे न मारो,
मुझे बचा लो पापा जी ।।
मुझको तुम दुनिया दिखला दो,
मेरे प्यारे पापा जी ।
पापा मेरे प्यारे पापा…
मॉ की गोद का बनू खिलौना,
उंगली पकड़ो पापाजी ।
भाई की जूठन खा कर के,
अपनी भूख मिटालूंगी ।
पहन के उतरन भैया की मैं,
अपना काम चला लूंगी ।।
पापा मेरे प्यारे पापा…
चौका चूल्हा रोज करूंगी,
फिर भी अब्बल आऊंगी ।
रोशन आपका नाम करुंगी,
मुझे पढ़ा लो पापा जी ।
इज्जत कभी न जाने दूंगी,
वचन हरा लो पापा जी ।।
पापा मेरे प्यारे पापा…
ऐश्वर्या सा रूप धरूंगी,
बनू सानिया मिर्जा सी ।
जब काम ना आए कोई सपूत,
तब ओलंपिक मैं जाऊंगी ।
साक्षी सिंधु बनकर पापा,
देश का मान बढ़ाऊंगी ।।
पापा मेरे प्यारे पापा …
सीता सम आदर्श निभाऊं ।
करूं तपस्या मीरा सी।
अनुसुईया सा सौम्य धरूंगी ।
बन राधा श्याम नचाऊंगी ।।
शबरी बनकर प्रेम परोसूं ,
भोजन करना पापाजी ।।
पापा मेरे प्यारे पापा…
बनू किरण में उम्मीदों की,
घर रोशन कर जाऊंगी ।
इंद्रा सी प्रखरमुख होकर,
दुनिया पर छा जाऊंगी ।
सुषमा सा स्वराज कर दूंगी,
मेरे प्यारे पापा जी ।
पापा मेरे प्यारे पापा…
सरस्वती की वीणा बनकर,
स्वर सरगम मैं गाऊंगी ।
बनु लक्ष्मी दो-दो कुल की,
दरिद्रता दूर भगाऊंगी ।
झांसी की रानी बन कर के,
दुश्मन को सबक सिखाऊंगी ।
पापा मेरे प्यारे पापा…
प्रलय काल में प्यारे पापा,
मैं शक्ति बन जाऊंगी ।
दुर्गा काली का रूप धरूं,
महिषासुर मर्दिनी कहलाऊंगी ।
जगत जननी बनकर के पापा,
मैं सृष्टि सौम्य रचाऊंगी ।
पापा मेरे प्यारे पापा…
सुनलो दुनिया के सारे पापा,
बेटी को अपनाना तुम ।
बेटा -बेटी में भेद न करना,
समरसता देखलाना तुम ।
बेटी से ही दुनिया चलती,
इस बात को भूल ना जाना तुम।
पापा मेरे प्यारे पापा..