Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 1 min read

मै ही क्यूं !?

मै ही क्यूं !?

जब मन चाहे मीठे पकवान
तब नज़र कर लेना उनकी तरफ
जो सोते हैँ हफ्तों भूखे पेट
और तू सोचता है मै ही क्यूं !?

जब चाह जागे मन मे ऊँची इमारतों की
तब रुख कर लेना उनकी ओर
जो छत से तक ना हुए रूबरू
और तू सोचता है मै ही क्यूं !?

जब लगे हारने लगा है तू
सवाल करना उनसे
जो हर रोज़ गिरते संभलते है
और तू सोचता है मै ही क्यूं !?

जब सताने लगे अंधियारा तुझे
पूछना रहस्य उस हुनर का
जो अंधेरे से लड़ने की ताक़त रखते हैँ
और तू सोचता है मै ही क्यूं !?

जब मांगे तुम्हारी बढ़ जाए
तो याद कर लेना उनको भी
जो तन ढकने को दूसरों की रहमत या खुदा की नेमत का इंतज़ार करते हैँ
और तू सोचता है मै ही क्यूं !?

– रुपाली भारद्वाज

Language: Hindi
1 Like · 99 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Roopali Sharma
View all
You may also like:
आज़ादी की जंग में यूं कूदा पंजाब
आज़ादी की जंग में यूं कूदा पंजाब
कवि रमेशराज
चला मुरारी हीरो बनने ....
चला मुरारी हीरो बनने ....
Abasaheb Sarjerao Mhaske
#कुछ खामियां
#कुछ खामियां
Amulyaa Ratan
मैं विवेक शून्य हूँ
मैं विवेक शून्य हूँ
संजय कुमार संजू
वक्त हालत कुछ भी ठीक नहीं है अभी।
वक्त हालत कुछ भी ठीक नहीं है अभी।
Manoj Mahato
मैं प्रेम लिखूं जब कागज़ पर।
मैं प्रेम लिखूं जब कागज़ पर।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"बाणसुर की नगरी"
Dr. Kishan tandon kranti
* गीत मनभावन सुनाकर *
* गीत मनभावन सुनाकर *
surenderpal vaidya
एक नम्बर सबके फोन में ऐसा होता है
एक नम्बर सबके फोन में ऐसा होता है
Rekha khichi
पहचान धूर्त की
पहचान धूर्त की
विक्रम कुमार
*मुंडी लिपि : बहीखातों की प्राचीन लिपि*
*मुंडी लिपि : बहीखातों की प्राचीन लिपि*
Ravi Prakash
ସେହି କୁକୁର
ସେହି କୁକୁର
Otteri Selvakumar
सफर
सफर
Ritu Asooja
अकेलापन
अकेलापन
Shashi Mahajan
"सुख पहेली है, दुख पहेली है ll
पूर्वार्थ
मिट्टी का खिलौना न जाने कब टूट जायेगा,
मिट्टी का खिलौना न जाने कब टूट जायेगा,
Anamika Tiwari 'annpurna '
🙅याद रखना🙅
🙅याद रखना🙅
*प्रणय*
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
लोग खुश होते हैं तब
लोग खुश होते हैं तब
gurudeenverma198
यदि आप जीत और हार के बीच संतुलन बना लिए फिर आप इस पृथ्वी पर
यदि आप जीत और हार के बीच संतुलन बना लिए फिर आप इस पृथ्वी पर
Ravikesh Jha
20
20
Ashwini sharma
3122.*पूर्णिका*
3122.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
महसूस तो होती हैं
महसूस तो होती हैं
शेखर सिंह
तीन औरतें बेफिक्र जा रही थीं,
तीन औरतें बेफिक्र जा रही थीं,
Ajit Kumar "Karn"
मैं बड़ा ही खुशनसीब हूं,
मैं बड़ा ही खुशनसीब हूं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
महामोदकारी छंद (क्रीड़ाचक्र छंद ) (18 वर्ण)
महामोदकारी छंद (क्रीड़ाचक्र छंद ) (18 वर्ण)
Subhash Singhai
कभी उलझन,
कभी उलझन,
हिमांशु Kulshrestha
भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण यह भी है की यह पर पूरी
भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण यह भी है की यह पर पूरी
Rj Anand Prajapati
सच तो कुछ भी न,
सच तो कुछ भी न,
Neeraj Agarwal
बाकी रह जाए याद में बाकी,
बाकी रह जाए याद में बाकी,
Dr fauzia Naseem shad
Loading...