मै हारी नही हु हराने वाली हु
मै हारी नही हु हराने वाली हु
रूठी हुई किस्मत को फिर से मानने वाली हु
टूट गये थे जो होसले मेरे
फिर से मजबूत करने वाली हु
एक बार गिर गई तो क्या हुआ
फिर से उठकर चलने वाली हु
तुम जितनी बार मुझे गिरोगे
मै उतनी बार खड़ी उठ जाओगी
बिना किसी सहारे के
अपनी मंजिल को पाओगी
सब कहते है कि तू लड़की है
ये तेरे बस कि बात नही
मै लड़की होकर क्या कर सकती हु
ये उनके बस कि बात नही
लाख चाये ठोकरें मारों
मै ठोकर खाने से डरती नही
जिदी है सवभाव मेरा
जो ठान वो तो मै फिर करती ही
हारी नही हु हारने वाली हु
तुम्हारी सोच को बस बदलने वाली हु
श्री रावत…