मै फिर भी मुस्कुराता हूं..
जिम्मेदारियां है बहुत, जिन्हें,
अब मैं अपने कंधों पर उठाता हूं.
महसूस ना हो किसी को,
दिल का दर्द,
मैं फिर भी मुस्कुराता हूं…….
मंजिल है अभी बहुत दूर,पैरों के छाले,
अब मैं किसी को नहीं दिखाता हूं.
उदास ना हो कोई मुझे देखकर,
मैं फिर भी मुस्कुराता हूं…….
पैदल पथ रास्तों पर,
मैं सपनों के जहाज उड़ाता हूं
कहीं पागल ना समझे मुझे लोग,
मैं फिर भी मुस्कुराता हूं……
टूट गए जो सपने, उनको “अभी ”
मैं दोबारा दोहराता हूं,
मैं अपने बच्चों में अब,
खुद को देख पाता हूं.
पास आएगी मंजिल एक दिन,
यही सोच कर मैं बार-बार मुस्कुराता हूं….
मूल रचनाकार.
पप्पू कुमार( सेठी ..)